जल संरक्षण और महिलाएं
डॉ. अंशु गौड़
गेस्ट लेक्चरर, ऑल्टियस इंस्टिट्यूट ऑफ़ यूनिवर्सल स्टडीज, इंदौर (म.प्र.)
’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू
।ठैज्त्।ब्ज्रू
धरातल पर बहने वाली जल की धारा नदी कहलाती है।नदियों की भूमिका हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है यह सर्व विदित है।हमारे दैनिक जीवन से लेकर सामाजिक जीवन तथा आर्थिक जीवन में भी नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है इसका प्रवाह धरती पर जीवन निर्धारित करता है।अतः इनका संरक्षण जरुरी है। आज भारत की दो ही तस्वीरें दिखाई देती है जल के आधार पर-पहली प्रदूषित, विलुप्तप्राय दम तोड़ती नदियाँ और दूसरी हमारे हाथों में नहीं आँखों में पानी। महिलाएँ जल की प्रमुख उपयोग कर्ता होती है। वे खाना पकाने, धोने, परिवार की स्वच्छता सफाई के लिए जल प्रयोग करती है। जल प्रबंधन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। अतः आज के वर्तमान समय में विश्व, राष्ट्र, राज्य व् गांव स्तर पर महिलाएं भी जल संरक्षण में भूमिका निभा रही है।राष्ट्रिय स्तर पर हमें गंगा नदी को लेकर उमा भारती का कार्य, नर्मदा नदी को लेकर मेघा पाटकर का नाम मिलता है।महाराष्ट्र के रायगढ़ में उल्का महाजन का कार्य उल्लेखनीय है।
ज्ञम्ल्ॅव्त्क्ैरू संरक्षण, संसाधन, विलुप्तप्राय, पारंपरिक, जल सहेलियां
कहा जाता है जल ही जीवन है और जीवन देने की शक्ति ईश्वर ने महिलाओं को प्रदान की है, जल की आवश्यकता ने ही सभ्यताओं का केंद्र जल के आसपास बनाया। सिंधु सभ्यता इस बात का प्रमाण हैे।
आज के परिपेक्ष्य में हम बात करें तो जल ने अपना दामन समेट लिया ह,ै जल स्तर निरंतर निचे जा रहा है जिसका मूल स्त्रोत है वर्षा। वर्षा का जल कई रूप में संग्रहित होता है-नदी, तालाब, कुंए, समुद्र आदि़
धरातल पर बहने वाली जल की धारा नदी कहलाती है।नदियों की भूमिका हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है यह सर्व विदित है।हमारे दैनिक जीवन से लेकर सामाजिक जीवन तथा आर्थिक जीवन में भी नदियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है इसका प्रवाह धरती पर जीवन निर्धारित करता है।अतः इनका संरक्षण जरुरी है।
केंद्रीय जल आयोग का अनुमान है की भारत की नदियों में प्रत्येक वर्ष औसतन लगभग 1869 बिलियन घन मीटर जल बह जाता है। कुल जल का 37-प्रतिशत प्रौद्योगिकी के अंतर्गत भारतीय जल संसाधनों का प्राकृतिक विवरण पर्याप्त असमान है।उत्तर में गंगा ब्रह्मपुत्र प्रणाली में 60-प्रतिशत क्षमता है वही पश्चिम घाट में 11-प्रतिशत क्षमता। प्रायद्वीपीय क्षेत्र की महानदी, गोदावरी कृष्णा कावेरी व अन्य 19-प्रतिशत क्षमता उपलब्ध है। 1
आज भारत की दो ही तस्वीरें दिखाई देती है जल के आधार पर-पहली प्रदूषित,
विलुप्तप्राय दम तोड़ती नदियाँ और दूसरी हमारे हाथों में नहीं आँखों में पानी। भारत की मुख्या नदियों में 12 ही ऐसी है जिनमे सालों भर पानी रहता है-गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा ब्रह्मपुत्र आदि।
अतीत से वर्तमान पर दृष्टि डालने पर हमें नदियों से सम्बंधित जल से सम्बंधित कुछ तथ्य सामने आते है-
1. विश्व की 10 बड़ी नदियों पर सूखने का खतरा मंडरा रहा है जिसमे भारत की गंगा व सिंधु भी है।
2. देश के शहरों में भू जल स्तर प्रतिवर्ष 10 फीट नीचे जा रहा है।
3. गुजरात के महसाणा व तमिलनाडु के कोयंबटूर जिलों ने अपनी भू-जलसंपदा हमेशा के लिए खो दी है।
4. विश्व के 1.4 अरब लोगो को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा।
5. भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन मील पैदल चलती है। 2
महिलाएँ जल की प्रमुख उपयोग कर्ता होती है। वे खाना पकाने, धोने, परिवार की स्वच्छता सफाई के लिए जल प्रयोग करती है। जल प्रबंधन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है।
बुन्देलखंड की महिलाओ ने जल सहेलियां बनकर अपने श्रम से पुराने जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित कर दिया है और बर्बाद होते पानी को उपयोगी बना दिया। गोहनी गांव में सावित्री, कुरौती गांव में अनुजा देवी, कलोथरा गांव में रामवती आदि। 3
संयुक्तराष्ट्र के अनुमानों के अनुसार 2025 तक लगभग 5.5 अरब लोग यानि दुनिया के 1/3 जनता को पानी नहीं मिलेगा । 4
अतः आज के वर्तमान समय में विश्व, राष्ट्र, राज्य व् गांव स्तर पर महिलाएं भी जल संरक्षण में भूमिका निभा रही है।राष्ट्रिय स्तर पर हमें गंगा नदी को लेकर उमा भारती का कार्य, नर्मदा नदी को लेकर मेघा पाटकर का नाम मिलता है।महाराष्ट्र के रायगढ़ में उल्का महाजन का कार्य उल्लेखनीय है।
हमारे विकासशील देश में जल लाने का कार्य केवल महिलाओ को करना होता है । ऐसी कई रेगिस्तानी व पहाड़ी इलाके है जहाँ पानी लेने के लिए महिलाओं को मीलों चलना पड़ता है । इतिहास में वेदों व पुराणों में हमें जल पूजा व जल संरक्षण के प्रमाण मिलते है। वैदिक युग में सूर्य को जल चढ़ाते हुए प्राथना की जाती थी की-‘‘हे सूर्य भगवान मैं आभारी हूँ की मुझ पर ऊर्जा, हवा और पानी की कृपा हुई। मैं तीनों का आदर करता हूँ ‘‘ 5
यह सब इसलिए था ताकि हम जल संपदा हमेशा सुरक्षित रखें । यदि हमें भू जल स्तर बढ़ाना है तो पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों को पुनर्जीवित करना होगा और आधुनिक जल संरक्ष्ण के तरीकों को अपनाना होगा। जिसमे महिलाओं की विशेष भागीदारी आवश्यक है, क्यूंकि पानी के आभाव में सबसे अधिक संघर्ष पूर्ण जीवन महिलाओं का ही होता है, यदि जल आपूर्ति सभी क्षेत्रो में सामान और भरपूर मात्रा में हो तो महिलाएं अपनी संपूर्ण ऊर्जा परिवार समाज और देश के विकास में लगा सकती हैं ।
lUnHkZ
1- M‚ fot; dqekj frokjh&i;kZoj.k v/;;u] fgeky;k ifCyf'kax gkml eqacbZ] 2004 i`"B la-33
2- flUgk va'kq&iwoZ vk/kqfud dky esa NÙkhlx<+ dh çeq[; ufn;ksa dk lkekftd lkaL—frd ,oa vkfFkZd egRo% ,d ,sfrgkfld vuq'khyu] iafMr jfo'kadj fo'ofo|ky;&2010] i`"B la-192
3- www.hindi.oneindia.com
4- www.hindi.indiawaterportal.org
5- flUgk va'kq mijksä] i`"B l-190
Received on 24.12.2018 Modified on 10.01.2019
Accepted on 10.02.2019 © A&V Publications All right reserved
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):225-226.